प्रिंस प्रोटेक्शन बिल: भारतीय मुद्रणालय
अधिनियम
1910 रद्द होने से प्रेस को स्वतंत्रता मिली और उन्होंने सरकारी
नीतियों की खुलकर आलोचना की. अब समाचारपत्रों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं रहा.
अब समाचारपत्र देश छोटी-छोटी रियासतों के प्रति विशेष रूचि दिखाने लगे और उससे संबद्ध
समाचारों और लेखों को प्रकाशित करने लगे. ऐसी स्थिति में
1922 में प्रिंस प्रोटेक्शन बिल पारित किया गया. इस बिल में पुस्तकों, समाचारपत्रों तथा अन्य ऐसे दस्तावेजों
के प्रचार को निषिद्ध किया गया,
जिसमे भारतीय रियासतों के राजा (प्रिंस) या मुखिया
या सरकार अथवा प्रशासन के खिलाफ घृणा, अपमान या असंतोष भडकाने का प्रयास किया गया
हो. भारतीय समाचारपत्रों ने इस बिल का विरोध किया, परिणामस्वरूप
असेम्बली में भी बिल 45 के मुकाबले 41 वोटों से पारित नहीं हो सका.
वायसराय ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इसे नियम में परिवर्तित किया.
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